
Class 12 Chemistry Important Questions Hindi Medium Board 2026
प्रश्न 1. ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता में हमेशा कमी आने की प्रवृत्ति क्यों होती है?
उत्तर: द्रव में गैस का घुलना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रिया है। अतः ला-शातेलिए के नियमानुसार ताप बढ़ाने पर साम्य पश्च दिशा में स्थानान्तरित्त हो जाता है तथा दाब में कमी आ जाती है, जिसके फलस्वरूप विलेयता में सदैव कमी आने की प्रवृत्ति होती है।
प्रश्न 2. कम दाब तथा उच्च ताप पर जल का वाष्पीकरण तेजी से होता है, क्यों?
उत्तर: कम दाब तथा उच्च ताप पर जल के अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है, जिसके कारण अधिक अणु जल की सतह को छोड़कर वाष्प अवस्था में बदल जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप जल का वाष्पीकरण तेजी से होता है।
प्रश्न 3. जलीय जीव, गर्म जल की तुलना में ठण्डे जल में अधिक सहज क्यों महसूस करते हैं?
उत्तर :वायुमण्डल पर ताप कम करने से जल में ऑक्सीजन की विलेयता बढ़ जाती है, जबकि समान दाब पर ताप बढ़ने पर ऑक्सीजन की विलेयता कम हो जाती है। अतः कम ताप पर अधिक ऑक्सीजन की उपस्थिति जलीय जीवों
को ठण्डे जल में अधिक सहज बनाती है ।
प्रश्न 4. मोलल अवनमन स्थिरांक, Kf क्या होता है?
उत्तर : किसी विलायक के 1000 ग्रामों में किसी वैद्युत-अनअपघट्य के एक ग्राम मोल को घोलने पर उसके हिमांक में जो अवनमन होता है, वह उस विलायक का मोलल अवनमन स्थिरांक, Kf कहलाता है। अतः
किसी विलायक का मोलल अवनमन स्थिरांक,
Kf = m×∆Tf×W / 1000×w
जहाँ,m→विलेय का अणुभार ,विलेय का अणुभार w→ विलेय का भार W→ विलायक का भार ∆Tf → हिमांक में अवनमन
प्रश्न 5. वान्ट हॉफ गुणांक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर : समअणुक सान्द्रण वाले विद्युत अपघट्य तथा विद्युत-अनअपघट्य के विलयनों की तुलना करने पर यह ज्ञात होता है कि विद्युत अपघट्य पदार्थों के विलयनों के अणुसंख्य गुणधर्म विद्युत-अनअपघट्य पदार्थों के विलयनों की अपेक्षा अधिक होते हैं। अतः वान्ट हॉफ ने इन दोनों प्रकार के विलयनों के आण्विक गुणों में निम्न सम्बन्ध स्थापित किया––-
i= असामान्य अणुसंख्य गुणधर्म /सामान्य अणुसंख्य गुणधर्म
यहाँ i को वान्ट हॉफ गुणांक कहते हैं। अतः उक्त दशाओं में अणुसंख्य गुणधर्मों के असामान्य मान व सामान्य मान के अनुपात को वान्ट हॉफ गुणांक (i) कहते हैं।
पुनः
i= वियोजन या संगुणन के बाद कणों की संख्या / वियोजन या संगुणन से पूर्व कणों की संख्या
प्रश्न 6. निम्न विलयनों में से किसका परासरण दाब अधिक होगा?
कारण सहित समझाइए।
(i) 0.1M ग्लूकोस
(ii) 0.1M सोडियम क्लोराइड
उत्तर : इनमें 0.1M सोडियम क्लोराइड का जलीय विलयन अधिक परासरण दाब प्रदर्शित करेगा, क्योंकि यह आयनन पर N a^ + व CI दो आयन देता है, जबकि ग्लूकोस का आयनन नहीं होता है। परासरण दाब अणुसंख्य गुणधर्म का उदाहरण है तथा अणुसंख्य गुणधर्म आयनों की संख्या पर निर्भर करते हैं।
[अणुसंख्य गुणधर्म अणुओं की संख्या (इन गुणधर्मों में आयन अणुओं के समान व्यवहार करते हैं)]।
प्रश्न 7. 0.1 M यूरिया तथा 0.1 M NaCl विलयन में किसका परासरण दाब अधिक होगा? कारण स्पष्ट कीजिए l
उत्तर: 0.1 M NaCl विलयन अधिक परासरण दाब प्रदर्शित करेगा, क्योकि यह आयनन पर N a^ + व CI दो आयन देता है, जबकि यूरिया का आयनन नहीं होता है। परासरण दाब अणुसंख्य गुणधर्म का उदाहरण है तथा अणुसंख्य गुणधर्म आयनों की संख्या पर निर्भर करते हैं l
प्रश्न8: (अ) राउल्ट के वाष्प दाब अवनमन नियम को परिभाषित कीजिए तथा उसकी सीमाएँ बताइए।
अथवा
(ब) विलयन के वाष्प दाब तथा विलेय पदार्थ के अणुभार में सम्बन्ध बताइए l
उत्तर:(अ) राउल्ट का नियम- राउल्ट के नियम के अनुसार, “किसी विलायक में अवाष्पशील विलेय मिलाने पर प्राप्त विलयन के वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन उसमें विद्यमान विलेय पदार्थ के मोल प्रभाज के बराबर होता है।”
P⁰-Ps/P⁰= n/n+N
जहाँ P⁰ तथा Ps क्रमशः विलायक तथा विलयन के वाष्प दाब हैं और n तथा N क्रमशः विलेय तथा विलायक के ग्राम-अणुओं की संख्या है।
यदि विलयन अति तनु होता है, तो का मान N की अपेक्षा बहुत कम होता है।
n+N~N
अतः इस दशा में समीकरण प्रयुक्त करते हैं, जो अवाष्पशील विलेय के तनु विलयनों पर लागू होती है।
P⁰ – Ps/P⁰= n/N
राउल्ट के नियम की सीमाएँ- (1) राउल्ट का नियम तनु विलयनों पर लागूहोता है। सान्द्र विलयन राउल्ट के नियम से विचलन प्रदर्शित करते हैं, (2) यह नियम केवल अवाष्पशील पदार्थों के विलयनों पर लागू होता है, (3) विद्युत-अपघट्यों के विलयनों पर राउल्ट का नियम लागू नहीं होता है, (4) जो पदार्थ विलयन में संगुणित या वियोजित हो जाते हैं, उन पदार्थों के विलयन भी राउल्ट के नियम का पालन नहीं करते हैं।
(ब) विलयन के वाष्प दाब व विलेय के अणुभार में सम्बन्ध –
राउल्ट के नियम से, P⁰- Ps/ P⁰ = n / n+N
यदि विलेय का भार w1 ग्राम तथा अणुभार m1 हो तथा विलायक का भार w2 ग्राम और उसका अणुभार m2 हो तो
विलेय के ग्राम-अणुओं की संख्या (n)= w1/m1
विलायक के ग्राम-अणुओं की संख्या (N) =w2/ m2
विलयन में विलायक की तुलना में विलेय के ग्राम-अणुओं की संख्या n= w1/m1 बहुत कम होती है। इसको नगण्य मानने पर,
P⁰-Ps/P⁰ = w1m2/ w2m1
विलेय का अणुभार ( m1) = P⁰/P⁰-Ps ×w1m2/ w2
प्रश्न 9. एथिलीन ग्लाइकोल (C2H6O2) के मोल प्रभाज की गणना कीजिए यदि जलीय विलियन में C2H6O2 का 20% द्रव्यमान उपस्थित हो।
उत्तर : दिया है , जलीय विलियन में C2H6O2 का द्रवयमान w = 20% = 20
आता जलीय विलियन में जल का द्रव्यमान
W = 100-20 = 80 ग्राम
C2H6O2 का अणुभार,
m= 2×12+1×6+2×16
= 62 ग्राम मोल-¹
अतः C2H6O2 के मोलो की संख्या ,
nE = w/m = 20/62
तथा जल के की मोलो संख्या
nw = W/M =80/18
एथिलीन ग्लाइकोल का मोल प्रभाज़
XE = nE / nE + nW
0.32/ 0.32+4.44 = 0.067
प्रश्न 10: सडे हुए अंडे जैसी गंड वाली विषैली गैस H2S गुणात्मक विश्लेषण मैं उपयोग की जाती है । यदि
H2S गैस की जाल में STP पर विलेयता 0.195 मोलाल हो तो हेनरी स्थिरांक की गणना कीजिए
उत्तर: H2S गैस की विलयता =0.195
मोलाल= 0.195 मोल
1 किग्रा विलायक ( जल) =1000ग्राम
= 1000ग्राम /18ग्राम mol-1
=55.55 मोल
विलियन H2S गैस के मोल अंश
X(H2S) = 0.195/0.195+55.55
= 0.195/55.745=0.0035
STP पर दाब = 0.987 बार
हेनरी का नियम लागू करने पर
P (H2S) = KH × X (H2S )
KH = P(H2S) / X(H2S)
=0.987 बार /0.0035 = 282 बार
प्रश्न11. विलयन किसे कहते हैं ?
उत्तर- दो या दो से अधिक पदार्थों के समांगी मिश्रण को विलयन (solution) कहते हैं। समांगी मिश्रण (विलयन) के प्रत्येक भाग का संघटन समान होता है। दो पदाथों से मिलकर बने विलयन को द्विअंगी (binary) विलयन तथा तीन पदार्थों से मिलकर बने विलयन को त्रिअंगी (ternary) विलयन कहते हैं। सामान्यतः द्विअंगी समांगी मिश्रण में जो अवयव अधिक मात्रा में होता है, उसे विलायक (solvent) और जो अवयव कम मात्रा में होता है, उसे विलेय (solute) कहते है। अतः विलयन विलेय व विलायक से मिलकर बत्ता होता है।





